छोटे बच्चे को सख्त आहार कब देना शुरू करें, कैसे करें, क्या खिलाएं, क्या न खिलाएं? पाएं A To Z जानकारी

छोटे बच्चे को सख्त आहार कब देना शुरू करें, कैसे करें, क्या खिलाएं, क्या न खिलाएं? पाएं A To Z जानकारी

सेहतराग टीम

दूध के साथ-साथ अन्य आहार शुरु करना बच्चे को बड़ा करने में एक महत्वपूर्ण कदम है। 5-6 महीने की आयु के बाद शिशु के विकास के लिए ऊर्जा की जरुरत दूध से पूरी नहीं होती है। ठोस आहार दूध के मुकाबले प्रति ग्राम 6-10 गुणा अधिक ऊर्जा देता हैं। इसलिए बच्चे की 5-6 महीने की आयु होने पर उसे ठोस आहार देना शुरु कर देना चाहिए।

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1-2 वर्ष की आयु तक साथ में स्तनपान कराना या दूध देना बच्चे के लिए आवश्यक है। ठोस आहार की शुरुआत का मतलब दूध कम करना नहीं है। दूध में ऊर्जा के अलावा अन्य पोषक तत्व भी होते हैं, जैसे प्रोटीन, जिन पर शिशु विकास के लिए निर्भर करता है। शिशु जैसे-जैसे ठोस आहार अधिक लेता है, उसकी दूध पर निर्भरता स्वयं घटती जाती है। ठोस आहार शुरु में थोड़ी मात्रा में ही दिया जा सकता है। इस समय यह शिशु के नए स्वाद के अनुभव के लिए जरुरी है। अगले कुछ महीनों में जैसे-जैसे इस आहार की मात्रा बढ़ती है, यह ऊर्जा का मुख्य स्त्रोत बन जाता है।

शिशु के चबाने वाले दांत लगभग एक वर्ष की आयु पर निकलती हैं। इस समय उसे चबाए जा सकने वाले हल्के सख्त आहार दें। जैसे-उबाली हुई नरम गाजर, शकरकंदी, उबले चावल की थोड़ी मात्रा इत्यादि।

क्या न खिलाएं-

  • कच्चा दूध, कच्चा पनीर, चॉकलेट, चाय, मीट, कॉफी, मांस, मछली से भी परहेज करें। मूंगफली और अन्य गिरीवाली चीजें भी न दें।
  • क्या करें कि शिशु आसानी से खा ले औऱ बडा होकर स्वयं खाने लगे-
  • शुरुआत से ही बच्चे के हाथ में छोटा चम्मच दें। यह उसके हाथ में रहने दें, चाहे वह इससे खा न सके या इधर-उधर भोजन गिराए।
  • बच्चे को भोजन में हाथ मारने दें, चाहे वह खा न पाए। इससे वह आगे चल कर स्वयं खाने लगेगा। पर जिसे हमेशा चम्मच से ही देते रहेंगे तो वह बड़ा होने पर भी चम्मच से ही खिलाए जाने की उम्मीद करेगा। अत: उसे चम्मच चलाने दें और भोजन में हाथ मारने दें। हाथ को ठीक से मुंह तक ले जाने की क्षमता आते ही वह स्वयं खाने लगेगा।
  • बच्चे को पूरे परिवार के साथ भोजन में जरुर शामिल करें। इसके लिए डाइनिंग टेबल पर उसे भी बिठाएं। बच्चे को साथ में बिठाने के लिए अनेक प्रकार की हाइट चेयर बाजार में उपलब्ध हैं। उसे घर पर ले आएं औऱ बच्चे को खाना परिवार के साथ बैठा कर ही खिलाएं।

बच्चे की पसंद और नापसंद का ध्यान रखें-

  • घर में बन रही दाल-सब्जी को मसाले, प्याज या लहसुन डालने अलग निकाल लें। इसे पीसकर या मिक्सी में चलाकर, छननी से छानकर शिशु को दें।
  • हर प्रकार का आहार,भोजन धीरे-धीरे दें। कुच को बच्चा खुशी-खुशी खा लेगा तो कुथ को थूक देगा या मुंह बनाएगा। इससे आप बच्चे को अच्छआ लगने वाला आहार पहचानें और उसकी मात्रा बढ़ाएं। जो नापसंद करें, उस आहार को देने की कोशिश हफ्तों या महीनों के बाद ही करें।
  • केला, उबली नरम गाजर या शकरकंदी,आम,पपीता,चीकू आदि भी इशी प्रकार से दें। अधिक केला दने से कब्ज यास्खत टट्टी आ सकती है। ऐसे में आम,पपीता,चीकू इत्यादि दें और केला देना कम कर दें।
  • शुरुआत में हर आहार, जैसे-चावल,दाल,फल इत्यादि महीन व छना हुआ दें। ध्यान दें कि ये सख्त न हो, यह गाढ़ा क्रीम जैसा हो जोकि मुंह में घुल जाए। जैसे-जैसे शिशु बड़ा होता रहे, वैसे ही वैसे यह आहार कम कर दें।
  • फिंगर फूड: 8-9 महीने की आयु होने पर जब बच्चा चीजें पकड़ने लगे और उठाने लगे तो ऐसे समय में उसे उंगली के आकार के खाद्य पदार्थ दें। यह खाद्य पदार्थ वह आसानी से स्वयं खा लेगा। इन्हें 3-4 साल की आयु तक दे सकते हैं। ध्यान दें कि बच्चा इन्हें खाते समय खेल या भाग-दौड़ न रहा हो।

कब शुरु करें:

5-6 महीने की आयु के साथ अन्य लक्षण जो इशारा करते हैं कि ठोस आहार शुरु किया जाए-

  • वजन 5-6 किलो हो जाए।
  • शिशु स्वयं बैठने लगे।
  • आधी रात में जागने लगे।
  • जल्दी-जल्दी दूध मांगने लगे या फिर दूध के लिए रोने लगे।

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कैसे करें-

  • शुरुआत में एकदम महीन औऱ छना हुआ आहार दें।
  • चावल की पतली खीर या केले को कद्दूकस करके दे सकते हैं।
  • इसे छोटे चम्मच से शिशु के दोनों होंठों के बीच रखएं औऱ उसे स्वयं धीरे-धीरे पीने दें। उसके मुंह के अंदर डालने का प्रयास न करें।
  • शुरुआत में शिशु आहार के डिब्बे भी इस्तेमाल कर सकते हैं। चावल वाले आहार से शुरुआत करें। आमतौर पर इन आहारों को स्वादिष्ट करने के लिए इनमें चीनी व नमक का उपयोग होता है। इसलिए इनका इस्तेमाल लंबे समय तक न करें। चूंकि इन्हें बनाना आसान है, इसलिए घर से बाहर जाने पर या जब आप थके हों तो इनका उपयोग कर लें। बच्चे का उचित मात्रा में ठोस आहार लेना, उसे कुपोषण से बचाता है। सफलतापूर्वक ठोस आहार देकर आप बच्चे को कुपोषण व अन्य जनित अनेक रोगों से बचा सकते हैं।

(यह आलेख प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित किताब शिशु हेल्थ गाइड से साभार लिया गया है। यह किताब डॉ. आलोख खन्ना और डॉ. विजय लक्ष्मी सूद द्वारा लिखी गयी है।)

 

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